Home
Devdar Ka Dukh
Barnes and Noble
Devdar Ka Dukh
Current price: $8.99
Barnes and Noble
Devdar Ka Dukh
Current price: $8.99
Size: OS
Loading Inventory...
*Product information may vary - to confirm product availability, pricing, shipping and return information please contact Barnes and Noble
मैंने सोचा था कि कभी कोई किताब लिखूँ गाए लेकिन पहली ही पुस्तक कविता की होगी ये न सोचा था क्यकि अगर साहित्य के विद्यार्थी के रूप में कहूँ तो कविता लिखना अधिक मुश्किल काम है। अब इस मुश्किल काम को मैं कितना निभा पाया वो तो पाठक ही बताएँगेए फ़िलहाल ये बता दँ कि ये कविताएं चिट्ठियाँ हैं। मुझे तो लगता है सारी ही कविताएं चिट्ठियाँ होती हैं। वो चिट्ठियाँ जो अपने पते पर नही पहुँच पाती हैं। कुबेरनाथ राय ने अपने एक लेख में ऋग्द वे का उद्धरण देते हुए कवि को ष्ऋषिष् कहा है। मेरे ख़याल में कवि के लिए ये सबसे सुंदर शब्द है क्यकि ऋषि दृष्टा होते हैं और कवि भी। कवि होने के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप दृष्टा अन्य सभी अहर्ताओंको मैं गौण समझता हूँ। आदमी जब सबसे अधिक भाव विह्वल होता है तब लिखता है कविताएं। हालाकि ज़्ं यादातर कविताएं निजी होती हैं लेकिन उनकी सार्थकता तभी है जब वे सार्वजनिक हो जाए। जब कोई उसे पढ़ते ही कहे कि श्ये तो मेरे मन की बात है।श् सौ पैमाने गढ़ेए पूरा काव्यशास्त्र रच दिया लेकिन इससे कविता का कु छ भी न बदला। मैं मानता हूँकविता परिभाषा की परिधि को अक्सर लाँघ जाती हैए इसलिए जो बात सहज और सुरूचिपूर्ण ढंग से कही गई हो वही कविता है। लयए छंदए रसए प्रवाहए अलंकारए तुकए व्याकरण निस्संदेह किसी कविता के महत्त्वपूर्ण अंग हो सकते हैं लेकिन कविता इससे भी इतर कु छ है। जैसे हाथए पांवए आँखए नाकए कान किसी व्यक्ति के शरीर के महत्त्वपूर्ण अंग हैं लेकिन वह व्यक्ति इन सबसे अलग कु छ और है। एक आदमी हर एक क्षण बदलता रहता है। उसकी मनःस्थिति भी बदलती रहती है। आप जो घंटे भर पहले थे वो अब नही रहे। ये बात दार्शनिक और वैज्ञानिक दोनो ही रूप से सत्य है और इसी बदलती मनःस्थिति में कविताएं भी फू टती हैं। मेरी कई कविताओ में आपस में मतभेद जान पड गए वह और कु छ नही अल