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Galib Ki Dukan
Barnes and Noble
Galib Ki Dukan
Current price: $11.99
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ये किताब 3 नाटकों का एक अनूठा संगम है, जिसके अंदर समाज के अलग-अलग रंगो को संजोने की कोशिश की है नाटककार तलत उमरी ने। पहला नाटक ग़ालिब की दुकान शायर होने से जिंदगी की दुश्वारियों का बढ़ना, समाज और व्यवस्था में खुद को ऐसी जगह पर पाना जहां आप बस तरस खाने वाली या हंसी की चीज बन जाते हैं, का सफर है। एक आम इंसान की कश्मकश और मोहल्ले के रूप में समाज का दर्पण है ये नाटक। दूसरा नाटक हिंदियाह भारत के शौर्य और प्राण जाए पर वचन न जाए वाली शान की ऐसी गाथा है जो आजतक आपने कही नहीं सुनी होगी। अक्सर ऐसी कहानियां खो जाती है या उन पर किसी का ध्यान नहीं जाता। एक ऐसा इंसान जो भारत से अरब तक की यात्रा करने को तैयार हो जाता है वो भी ऐसे समय में जब कोई भी देश ऐसा करने का सोच भी नहीं पा रहा था। वीरता और बलिदान के लिए भारतवर्ष हमेशा जाना जाता है। ये नाटक शिक्षा के साथ उस भारत की याद दिलाते हैं जहां हमेशा इंसानियत को सर्वोपरि रखा गया है। तीसरा नाटक खुसरो, अमीर खुसरो, हिंदी के पहले कवि के साथ-साथ संगीतज्ञ, दर्शनिक, संगीत के कई वाद्यों के आविष्कारक भी थे, उनके जीवन पर आधारित है। खुसरो ने अपने जीवन में कई सल्तनत देखी। तख्त पलटते देखे पर वो हर सुल्तान के लिए सम्माननीय रहे। अपने हित से ज्यादा जनहित और सबसे ज्यादा जनता की आवाज को अपने शब्दों से आज तक यादगार बनाने वाले जनकवि थे खुसरो। खुसरो रैन सुहाग की जागी पी के संग तन मोरा मन पीहू का दोनो एक ही रंग है री इस नाटक के लेखक तलत उमरी, लेखक, कवि, अभिनेता, फिल्म निर्माता और निर्देशक भी हैं।