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Byomkesh Bakshi ki Jasoosi Kahaniyan
Barnes and Noble
Byomkesh Bakshi ki Jasoosi Kahaniyan
Current price: $36.99
![Byomkesh Bakshi ki Jasoosi Kahaniyan](https://prodimage.images-bn.com/pimages/9789355211040_p0_v1_s600x595.jpg)
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Byomkesh Bakshi ki Jasoosi Kahaniyan
Current price: $36.99
Size: Hardcover
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वर्ष 1932 में जब सारदेंदु बंद्योपाध्याय ने डिटेक्टिव फिक्शन में अपना हाथ आजमाने का फैसला किया, जिसे बंगाल की साहित्यिक दुनिया में उस समय तुच्छ समझकर हेय दृष्टि से देखा गया, तब उन्होंने सोचा नहीं था कि एक दिन ब्योमकेश बख्शी बांग्ला साहित्य के सबसे लोकप्रिय और लंबे समय तक मशहूर रहनेवाले किरदारों में से एक बना जाएगा। भले ही इसे कॉनन डॉयल के होम्स और चेस्टरटन के फादर ब्राउन की तर्ज पर गढ़ा गया है, ब्योमकेश के छानबीन का अपना ही अंदाज है, जो पेशे से नहीं बल्कि अपने शौक से डिटेक्टिव हैं, और कई पीढि़याँ उसके पाठकों में शामिल हैं। सभी कहानियाँ पचास और साठ के दशक के कलकत्ता की पृष्ठभूमि की हैं। प्रस्तुत संग्रह चार अनसुलझी गुत्थियों को सामने लाता है, जो इस डिटेक्टिव की बौद्धिक चुस्ती की जबरदस्त परीक्षा लेती हैं। 'द मेनाजरी' (दिग्गज फिल्म निर्माता सत्यजीत रे ने 1967 में इस कहानी पर 'चिडि़याखाना' फिल्म बनाई थी) में ब्योमकेशजी ने एक विचित्र केस सुलझाया था, जिसमें मोटर के टूटे हुए पुरजे थे, स्वाभाविक सी लगने वाली मौत थी, और गोलाप कॉलोनी के विचित्र निवासी थे, जो अपने दागदार अतीत को छिपाने के लिए कुछ भी करने की क्षमता रखते थे। 'द ज्वेल' केस में वह रहस्यमयी ढंग से गायब हुए बेशकीमती हार की पड़ताल करते हैं, जबकि 'द विल दैट वैनिश्ड' में वे एक जिगरी दोस्त की अंतिम इच्छा पूरी करने को लेकर चक्कर में डाल देनेवाली पहेली को सुलझाते हैं।