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Maro He Jogi Maro - Part-1 (??? ?? ???? ??? ???-1)
Barnes and Noble
Maro He Jogi Maro - Part-1 (??? ?? ???? ??? ???-1)
Current price: $23.99
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Maro He Jogi Maro - Part-1 (??? ?? ???? ??? ???-1)
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मरौ वे जोगी मरौ, मरौ मरन है मीठा। तिस मरणी मरौ, जिस मरणी गोरष मरि दीठा।। गोरख कहते हैं: मैंने मर कर उसे देखा, तुम भी मर जाओ, तुम भी मिट जाओ। सीख लो मरने की यह कला। मिटोगे तो उसे पा सकोगे। जो मिटता है, वही पाता है। इससे कम में जिसने सौदा करना चाहा, वह सिर्फ अपने को धोखा दे रहा है। ऐसी एक अपूर्व यात्रा आज हम शुरू करते हैं। गोरख की वाणी मनुष्य-जाति के इतिहास में जो थोड़ी सी अपूर्व वाणियां हैं, उनमें एक है। गुनना, समझना, सूझना, बूझना, जीना...। और ये सूत्र तुम्हारे भीतर गूंजते रह जाएं: हसिबा खेलिबा धरिबा ध्यानं। अहनिसि कथिबा ब्रह्मगियानं। हंसै षेलै न करै मन भंग। ते निहचल सदा नाथ के संग।।
ओशो
पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:
सम्यक अभ्यास के नये आयाम
विचार की ऊर्जा भाव में कैसे रूपांतरित होती है?
जीवन के सुख-दुखों को हम कैसे समभाव से स्वीकार करें?
मैं हर चीज असंतुष्ट हूं। क्या पाऊं जिससे कि संतोष मिले?.